शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023
प्रसंग
गुरुवार, 7 दिसंबर 2023
बेताल पच्चीसी-बाईसवीं कहानी
कुसुमपुर नगर में एक राजा राज्य करता था। उसके नगर में एक ब्राह्मण था, जिसके चार बेटे थे। लड़कों के सयाने होने पर ब्राह्मण मर गया और ब्राह्मणी उसके साथ सती हो गयी। उनके रिश्तेदारों ने उनका धन छीन लिया। वे चारों भाई नाना के यहाँ चले गये। लेकिन कुछ दिन बाद वहाँ भी उनके साथ बुरा व्यवहार होने लगा। तब सबने मिलकर सोचा कि कोई विद्या सीखनी चाहिए। यह सोच करके चारों चार दिशाओं में चल दिये।
कुछ समय बाद वे विद्या सीखकर मिले। एक ने कहा, "मैंने ऐसी विद्या सीखी है कि मैं मरे हुए प्राणी की हड्डियों पर मांस चढ़ा सकता हूँ।" दूसरे ने कहा, "मैं उसके खाल और बाल पैदा कर सकता हूँ।" तीसरे ने कहा, "मैं उसके सारे अंग बना सकता हूँ।" चौथा बोला, "मैं उसमें जान डाल सकता हूँ।"
फिर वे अपनी विद्या की परीक्षा लेने जंगल में गये। वहाँ उन्हें एक मरे शेर की हड्डियाँ मिलीं। उन्होंने उसे बिना पहचाने ही उठा लिया। एक ने माँस डाला, दूसरे ने खाल और बाल पैदा किये, तीसरे ने सारे अंग बनाये और चौथे ने उसमें प्राण डाल दिये। शेर जीवित हो उठा और सबको खा गया।
यह कथा सुनाकर बेताल बोला, "हे राजा, बताओ कि उन चारों में शेर बनाने का अपराध किसने किया?"
राजा ने कहा, "जिसने प्राण डाले उसने, क्योंकि बाकी तीन को यह पता ही नहीं था कि वे शेर बना रहे हैं। इसलिए उनका कोई दोष नहीं है।"
यह सुनकर बेताल फिर पेड़ पर जा लटका। राजा जाकर फिर उसे लाया। रास्ते में बेताल ने एक नयी कहानी सुनायी।
बुधवार, 6 दिसंबर 2023
योगी पहले क्यों रोया, फिर क्यों हँसा? ... (बेताल पच्चीसी-तेईसवीं कहानी)
कलिंग देश में शोभावती नाम का एक नगर था। उसमें राजा प्रद्युम्न राज करता था। उसी नगरी में एक ब्राह्मण रहता था, जिसका देवसोम नाम का बड़ा ही योग्य पुत्र था। जब देवसोम सोलह बरस का हुआ और सारी विद्याएँ सीख चुका तो एक दिन दुर्भाग्य से वह मर गया। बूढ़े माँ-बाप बड़े दु:खी हुए। चारों ओर शोक छा गया। जब लोग उसे लेकर श्मशान में पहुँचे तो रोने-पीटने की आवाज़ सुनकर एक योगी अपनी कुटिया में से निकलकर आया। पहले तो वह खूब ज़ोर से रोया, फिर खूब हँसा, फिर योग-बल से अपना शरीर छोड़ कर उस लड़के के शरीर में घुस गया। लड़का उठ खड़ा हुआ। उसे जीता देखकर सब बड़े खुश हुए।
वह लड़का वही तपस्या करने लगा।
इतना कहकर बेताल बोला, "राजन्, यह बताओ कि यह योगी पहले क्यों रोया, फिर क्यों हँसा?"
राजा ने कहा, "इसमें क्या बात है! वह रोया इसलिए कि जिस शरीर को उसके माँ-बाप ने पाला-पोसा और जिससे उसने बहुत-सी शिक्षाएँ प्राप्त कीं, उसे छोड़ कर जा रहा था। हँसा इसलिए कि वह नये शरीर में प्रवेश करके और अधिक सिद्धियाँ प्राप्त कर सकेगा।"
राजा का यह जवाब सुनकर बेताल फिर पेड़ पर जा लटका। राजा जाकर उसे लाया तो रास्ते में बेताल ने कहा, "हे राजन्, मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि बिना जरा-सा भी हैरान हुए तुम मेरे सवालों का जवाब देते रहे हो और बार-बार आने-जाने की परेशानी उठाते रहे हो। आज मैं तुमसे एक बहुत भारी सवाल करूँगा। सोचकर उत्तर देना।"
इसके बाद बेताल ने यह कहानी सुनायी।
बेताल पच्चीसी-पच्चीसवीं कहानी-अंतिम.
योगी, राजा और मुर्दे को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। बोला, "हे राजन्! तुमने यह कठिन काम करके मेरे साथ बड़ा उपकार किया है। तुम सचमुच सारे राजाओं में श्रेष्ठ हो।"
इतना कहकर उसने मुर्दे को उसके कंधे से उतार लिया और उसे स्नान कराकर फूलों की मालाओं से सजाकर रख दिया। फिर मंत्र-बल से बेताल का आवाहन करके उसकी पूजा की। पूजा के बाद उसने राजा से कहा, "हे राजन्! तुम शीश झुकाकर इसे प्रणाम करो।"
राजा को बेताल की बात याद आ गयी। उसने कहा, "मैं राजा हूँ, मैंने कभी किसी को सिर नहीं झुकाया। आप पहले सिर झुकाकर बता दीजिए।"
योगी ने जैसे ही सिर झुकाया, राजा ने तलवार से उसका सिर काट दिया। बेताल बड़ा खुश हुआ। बोला, "राजन्, यह योगी विद्याधरों का स्वामी बनना चाहता था। अब तुम बनोगे। मैंने तुम्हें बहुत हैरान किया है। तुम जो चाहो सो माँग लो।"
राजा ने कहा, "अगर आप मुझसे खुश हैं तो मेरी प्रार्थना है कि आपने जो चौबीस कहानियाँ सुनायीं, वे, और पच्चीसवीं यह, सारे संसार में प्रसिद्ध हो जायें और लोग इन्हें आदर से पढ़े।"
बेताल ने कहा, "ऐसा ही होगा। ये कथाएँ ‘बेताल-पच्चीसी’ के नाम से प्रसिद्ध होंगी और जो इन्हें पढ़ेंगे, उनके पाप दूर हो जायेंगे।"
यह कहकर बेताल चला गया। उसके जाने के बाद शिवजी ने प्रकट होकर कहा, "राजन्, तुमने अच्छा किया, जो इस दुष्ट साधु को मार डाला। अब तुम जल्दी ही सातों द्वीपों और पाताल-सहित सारी पृथ्वी पर राज्य स्थापित करोगे।"
इसके बाद शिवजी अन्तर्धान हो गये। काम पूरे करके राजा श्मशान से नगर में आ गया। कुछ ही दिनों में वह सारी पृथ्वी का राजा बन गया और बहुत समय तक आनन्द से राज्य करते हुए अन्त में भगवत लोक को प्राप्त हुआ|
।। राजा भोज और माघ की कथा ।।
गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023
राजा भोज और बुढ़िया
एक समय की बात है कि राजा भोज और माघ पंडित सैर को गये थे । लौटते समय वे दोनों रास्ता भूल गये । तब वे दोनों विचार करने लगे, रास्ता भूल गये अब किससे पूछे । तब माघ पंडित ने कहा कि पास के खेत में जो बुढिया काम कर रही है उससे पूछे ।
दोनों बुढ़िया के पास गये, और कहा राम राम माँ जी । यह रास्ता कहाँ जायेगा । बुढिया ने उत्तर दिया कि "यह रास्ता तो यही रहेगा इसके ऊपर चलने वाले जायेंगे । भाई तुम कौन हो !"
"बहिन हम तो पथिक है "- राजा भोज बोला ।
बुढ़िया बोली -"पथिक तो दो है एक सूरज और एक चन्द्रमा । तुम कौन से पथिक हो ।"
भोज बोला -"हम तो राजा है ।"
"राजा तो दो है एक इन्द्र और एक यमराज । तुम कौनसे राजा हो" - बुढ़िया बोली ।
"बहन हम तो क्षमतावान है" - माघ बोला ।
"क्षमतावान दो है एक पृथ्वी और दूसरी स्त्री । भाई तुम कौन हो " - बुढ़िया बोली ।
"हम तो साधू है" - राजा भोज कहने लगा ।
" साधू तो दो है एक तो शनि और दूसरा सन्तोष । भाई तुम कौन हो" - बुढ़िया बोली ।
"बहिन हम तो परदेसी है" - दोनों बोले ।
" परदेसी तो दो है एक जीव और दूसरा पे़ड़ का पात । भाई तुम कौन हो" - बुढ़िया बोली ।
" हम तो गरीब है " - माघ पंडित बोला
" गरीब तो दो है एक तो बकरी का जाया बकरा और दूसरी लड़की ।" - बुढ़िया बोली ।
" बहिन हम तो चतुर है" - माघ पंडित बोला ।
" चतुर तो दो है एक अन्न और दूसरा पानी । तुम कौन हो सच बताओ ।" - बुढ़िया बोली
इस पर दोनों बोले हम कुछ भी नहीं जानते । जानकार तो तुम हो ।
तब बुढ़िया बोली कि " तुम राजा भोज हो और ये पंडित माघ है । जाओ यही उज्जैन का रास्ता है ।"
शिक्षा - जब बड़ो के सामने आपकी एक ना चले तो समझ लो, हार मान लेना ही बेहतर है ।
शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023
पशुपक्षिणां ध्वनय:
सोमवार, 16 अक्टूबर 2023
मङ्गलाचरणम्
शनिवार, 14 अक्टूबर 2023
संस्कृतप्रतियोगितायां विजेतृणां छात्राणां सम्मानार्थं आयोजितः कार्यक्रमः।
प्रेसविज्ञप्तिः संस्कृतम् - १४.१॰.२॰२३ वार्ताहरः आचार्यदीनदयालशुक्लः
विभागीयस्तरस्य
संस्कृतप्रतियोगितायां विजेतृणां छात्राणां सम्मानार्थं आयोजितः कार्यक्रमः।
बाँदा। अद्य दिनाङ्के १४.१॰.२॰२३ प्रातः ११:३॰ वादने जिलाविद्यालयनिरीक्षकः बांदा श्रीविजयपालसिंहद्वारा गिरवांनगरस्थस्य पंडितजवाहरलालनेहरूइण्टरकॉलेज इत्यस्य विद्यालयस्य आकस्मिकनिरीक्षणं विहितम्।

विद्यालये सर्वं सुष्ठु स्वस्थं च प्राप्य विद्यालयस्य प्राचार्यगणेशद्विवेदीमहोदयेन सह सर्वैः शिक्षकैः सह च अस्मिन् शैक्षणिकोन्नयनगोष्ठीयाम् उत्थानसभायां च संस्कृतप्रतिभासन्धानपरीक्षायै उपस्थिताः विद्यालयस्य छात्राः जिलास्तरस्य ध्वजरोहणस्य अनन्तरं, हमीरपुरस्य भुवनेश्वरीमहाविद्यालये संभागीयस्तरस्य आयोजने आयोजितायां प्रतियोगितायां राज्यस्तरस्य चयनितस्य छात्रस्य महेशस्य विद्यालयस्य नामे गौरवम् आनयितुं ट्राफी, प्रमाणपत्रं च सम्मानितं तथा विभागीयस्तरीय पर द्वितीय तृतीय स्थान पर स्थित छात्र ज्योति, नेहा, प्रज्ञा च ट्राफी प्रमाणपत्राणि च दत्तानि।
सभायां संस्कृतविषयस्य प्रवक्ता शिवपूजन त्रिपाठीमहोदयः तथा च छात्रान् राज्यस्तरं प्रति प्रेषयित्वा छात्रान् प्रकाशं कृतवान् इति व्यक्तिः सम्बोधितवान् तथा च जिलाविद्यालयनिरीक्षकेन शिक्षकान् छात्रान् च अभिनन्दनं कृत्वा तेषां उज्ज्वलभविष्यस्य कामना कृता। समारोहस्य संचालनं श्रीअखिलेशशुक्लद्वारा सम्पादितम्।
विज्ञान-प्रौद्योगिक्याः अध्ययनेन सह संस्कृतस्य अध्ययनमपि आवश्यकम् :
बुधवार, 11 अक्टूबर 2023
(बेताल पच्चीसी-चौबीसवीं कहानी)
किसी नगर में मांडलिक नाम का राजा, राज करता था। उसकी पत्नी का नाम चडवती था। वह मालव देश के राजा की लड़की थी। उसके लावण्यवती नाम की एक कन्या थी। जब वह विवाह के योग्य हुई तो राजा के भाई-बन्धुओं ने उसका राज्य छीन लिया और उसे देश-निकाला दे दिया। राजा रानी और कन्या को साथ लेकर मालव देश को चल दिया। रात को वे एक वन में ठहरे। पहले दिन चलकर भीलों की नगरी में पहुँचे। राजा ने रानी और बेटी से कहा कि तुम लोग वन में छिप जाओ, नहीं तो भील तुम्हें परेशान करेंगे। वे दोनों वन में चली गयीं। इसके बाद भीलों ने राजा पर हमला किया। राजा ने मुकाबला किया, पर अन्त में वह मारा गया। भील चले गये।
उसके जाने पर रानी और बेटी जंगल से निकलकर आयीं और राजा को मरा देखकर बड़ी दु:खी हुईं। वे दोनों शोक करती हुईं एक तालाब के किनारे पहुँची। उसी समय वहाँ चंडसिंह नाम का साहूकार, अपने लड़के के साथ घोड़े पर चढ़कर, शिकार खेलने के लिए उधर आया। दो स्त्रियों के पैरों के निशान देखकर साहूकार अपने बेटे से बोला, "अगर ये स्त्रियाँ मिल जायें तो जायें, तब जिससे चाहो, विवाह कर लेना।"
लड़के ने कहा, "छोटे पैर वाली छोटी उम्र की होगी, उससे मैं विवाह कर लूँगा। आप बड़ी से कर लें।"
साहूकार विवाह नहीं करना चाहता था, पर बेटे के बहुत कहने पर राजी हो गया।
थोड़ा आगे बढ़ते ही उन्हें दोनों स्त्रियां दिखाई दीं। साहूकार ने पूछा, "तुम कौन हो?"
रानी ने सारा हाल कह सुनाया। साहूकार उन्हें अपने घर ले गया। संयोग से रानी के पैर छोटे थे, पुत्री के पैर बड़े। इसलिए साहूकार ने पुत्री से विवाह किया, लड़के का विवाह रानी से हो गया| इस तरह पुत्री सास बनी और माँ बेटे की बहू। उन दोनों के आगे चलकर कई सन्तानें हुईं।
इतना कहकर बेताल बोला, "राजन्! बताइए, माँ-बेटी के जो बच्चे हुए, उनका आपस में क्या रिश्ता हुआ?"
यह सवाल सुनकर राजा बड़े चक्कर में पड़ा। उसने बहुत सोचा, पर जवाब न सूझ पड़ा। इसलिए वह चुपचाप चलता रहा।
बेताल यह देखकर बोला, "राजन्, कोई बात नहीं है। मैं तुम्हारे धैर्य और पराक्रम से प्रसन्न हूँ। मैं अब इस शव से निकल जाता हूँ। तुम इसे योगी के पास ले जाओ। जब वह तुम्हें इस शवको सिर झुकाकर प्रणाम करने को कहे तो तुम कह देना कि पहले आप करके दिखाओ। जब वह सिर झुकाकर समझायें तो तुम उसका सिर काट लेना। उसका बलिदान करके तुम सारी पृथ्वी के राजा बन जाओगे। सिर नहीं काटा तो वह तुम्हारी बलि देकर सिद्धि प्राप्त करेगा।"
इतना कहकर बेताल चला गया और राजा शव को लेकर योगी के पास आया।
समाचारपत्रम्
उच्चारण-स्थानानि (Uccharan Sthaan)
उच्चारणस्थानानि |
संस्कृतवर्णविचारः
संस्कृत व्याकरण (Sanskrit Vyakaran)-
(1) वर्ण,
(2) प्रत्याहार
(3) प्रयत्न
संस्कृत व्याकरण को माहेश्वर शास्त्र भी कहा जाता है।
👉 माहेश्वर का अर्थ है-- *शिव जी*
👉 माहेश्वर सूत्र की संख्या --- *14*
(1) वर्ण
संस्कृत में वर्ण दो प्रकार के होते है---
3= *स्वर*
4= *व्यञ्जन*।
🌸👉 *संस्कृत में स्वर*--: ( *अच्*)तीन प्रकार के होते है-----:
1=■ *ह्रस्व स्वर* ( पाँच)--- इसमें एक मात्रा का समय लगता है। *अ , इ , उ , ऋ , लृ*
2=■ *दीर्घ स्वर* (आठ)---: इसमें दो मात्रा ईआ समय लगता है। आ , ई , ऊ , ऋ , ए ,ऐ ,ओ , औ
3= ■ *प्लुत स्वर* --: इसमे तीन मात्रा का समय लगता है।
जैसे--- *हे राम३*
*ओ३म* ।
🌸👉 सस्कृत में व्यञ्जन (हल् ) ----:
व्यञ्जन चार प्रकार के होते है----
1= 👉स्पर्श व्यञ्जन --: *क से म तक* = 25 वर्ण
2= 👉अन्तःस्थ व्यञ्जन ---: *य , र , ल , व*= 4 वर्ण
3= 👉 ऊष्म व्यञ्जन --: *श , ष , स , ह* = 4 वर्ण
4= 👉 संयुक्त व्यञ्जन --: *क्ष , त्र , ज्ञ* = 3 वर्ण
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
(2) प्रत्याहार
🌸 *प्रत्याहारों की संख्या* = 42
● *अक् प्रत्याहार*---: अ इ उ ऋ लृ ।
● *अच् प्रत्याहार* ---:अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ।
● *अट् प्रत्याहार* ---: अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र् ।
● *अण् प्रत्याहार* ---: अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र् ल् ।
● *इक् प्रत्याहार*----: इ उ ऋ लृ ।
● *इच् प्रत्याहार*----: इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ।
● *इण् प्रत्याहार*-----: इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र् ल् ।
● *उक् प्रत्याहार* ----: उ ऋ लृ ।
● *एड़् प्रत्याहार* ----: ए ओ ।
● *एच् प्रत्याहार*----- : ए ओ ऐ औ ।
● *ऐच् प्रत्याहार* ----- ऐ औ ।
● *जश् प्रत्याहार* --- : ज् ब् ग् ड् द् ।
● *यण् प्रत्याहार* ---': य् व् र् ल् ।
● *शर् प्रत्याहार*-----: श् ष् स् ।
● *शल् प्रत्याहार* ---- : श् ष् स् ह् ।
☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆
(3) *प्रयत्न*---
👉 " *वर्णों के उच्चारण करने की चेष्टा को ' प्रयत्न ' कहते है।*
👉 प्रयत्न *दो प्रकार* के होते है---:
1= आभ्यान्तर प्रयत्न
2= बाह्य प्रयत्न
■ *आभ्यान्तर प्रयत्न*----:
आभ्यान्तर प्रयत्न *पाँच प्रकार* के होते है----:
☆ *1*= स्पृष्ट ( *स्पर्श*)-----: *क से म तक के वर्ण ।*
☆ *2*= ईषत् -- स्पृष्ट -----: *य ,र , ल , व ।*
☆ *3*= ईषत् -- विवृत ------: *श , ष , स , ह ।*
☆ *4*= विवृत ----:
अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ।
☆ *संवृत----:
" *इसमें वायु का मार्ग बन्द रहता है । प्रयोग करने में ह्रस्व " अ " का प्रयत्न संवृत होता है किन्तु शास्त्रीय प्रक्रिया में " अ " का प्रयत्न विवृत होता है।*
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
🌸 *बाह्य प्रयत्न* ------:
👉 उच्चारण की उस चेष्टा को " बाह्य प्रयत्न " कहते है ; जो मुख से वर्ण निकलते समय होती है।
👉 *बाह्य प्रयत्न -- 11 प्रकार के होते है।*
(1=विवार 2= संवार 3= श्वास 4= नाद 5= घोष 6=:अघोष 7= अल्पप्राण 8= महाप्राण 9= उदात्त 10= अनुदात्त 11= त्वरित )
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स्वपरिचयः (Self Introduction)
1) मम नाम ...दीनदयालः.... ।
मेरा नाम ....दीनदयाल.... है।
(My name is Deendayal)
2) अहम् ............ कक्षायां पठामि। (षष्ठी/ सप्तमी/ अष्टमी)
मैं ............ कक्षा में पढ़ता हूँ।
(I am Studying in class ……..)
3) मम विद्यालयस्य नाम विद्यालय ......अस्ति।
मेरे विद्यालय का नाम केन्द्रीय विद्यालय .............. है।
(I Study in Kendriya Vidyalaya ……………….)
4) अहं मूलतः ....उत्तरप्रदेशतः....अस्मि।
मैं मूल रूप से ....... उत्तरप्रदेश...... से हूँ।
(I am basically from Uttar pradesh)
5) वर्तमाने अहम् …काशी... इति स्थाने निवसामि ।
वर्तमान समय में मैं ......... स्थान पर रह रहा हूँ।
(I live in ………………)
6) मम पितुः नाम.........अस्ति, सः ...अध्यापकः... अस्ति।*
मेरे पिता जी का नाम ....... हैं, वह एक ...अध्यापक... हैं।
(My Father’s name is .………. he is a Teacher)
7) मम मातुः नाम ............ अस्ति, सा ...गृहिणी... अस्ति। *
मेरी माता जी का नाम ............. है, वह एक ...गृहिणी...है।
(My Mother’s name is ………… she is a HouseWife)
8) मम रुचिः .....अध्ययने, क्रीड़ने..... च अस्ति/ स्तः/ सन्ति।#
मेरी रुचि ....पढ़ने, खेलने.... में है।
(My hobbies are Studying & Playing)
9) अहम् ...प्राध्यापकः.... भवितुम् इच्छामि।*
मैं .....प्राध्यापक..... बनना चाहता हूं।
(I want to be a Professor)
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* व्यवसाय: (Profession)-
1) प्राध्यापकः = Professor,
2) व्याख्याता= Lecturer
3) अध्यापकः/ अध्यापिका =Teacher,
4) अधिकारी = Officer;
5) अभियन्ता/ तंत्रज्ञः = Engineer;
6) वैद्यः/ वैद्या= Doctor,
7) न्यायवादी = lawyer,
8) प्रबन्धकः= Manager,
9) वायुयान-चालकः=pilot,
10) सैनिकः=police,
11) उट्टङ्ककः = Typist,
12) लिपिकः = Clerk,
13) विक्रयिकः = Salesman;
14) व्यवसायिकः=Businessman,
15) वैज्ञानिक:- scientist
16) क्रीडक: - Sports Player
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# रुचि: (Hobbies)-
1) अध्ययने-Studying,
2) पठने-Reading,
3) पाठने- Teaching,
4) गायने-Singing,
5) नृत्ये-Dancing,
6) क्रीडने-Playing,
7) तरणे-Swimming,
8) चित्रनिर्माणे-Painting,
9) भ्रमणे-visiting,
10) शयने=Sleeping,
11) भोजने=Eating
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