गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023

राजा भोज और बुढ़िया

sanskritpravah




    एक समय की बात है कि राजा भोज और माघ पंडित सैर को गये थे । लौटते समय वे दोनों रास्ता भूल गये । तब वे दोनों विचार करने लगे, रास्ता भूल गये अब किससे पूछे । तब माघ पंडित ने कहा कि पास के खेत में जो बुढिया काम कर रही है उससे पूछे ।

दोनों बुढ़िया के पास गये, और कहा राम राम माँ जी । यह रास्ता कहाँ जायेगा । बुढिया ने उत्तर दिया कि "यह रास्ता तो यही रहेगा इसके ऊपर चलने वाले जायेंगे । भाई तुम कौन हो !"

"बहिन हम तो पथिक है "- राजा भोज बोला ।
बुढ़िया बोली -"पथिक तो दो है एक सूरज और एक चन्द्रमा । तुम कौन से पथिक हो ।" 

भोज बोला -"हम तो राजा है ।"
"राजा तो दो है एक इन्द्र और एक यमराज । तुम कौनसे राजा हो" - बुढ़िया बोली ।

"बहन हम तो क्षमतावान है" - माघ बोला ।
"क्षमतावान दो है एक पृथ्वी और दूसरी स्त्री । भाई तुम कौन हो " - बुढ़िया बोली ।

"हम तो साधू है" - राजा भोज कहने लगा ।
" साधू तो दो है एक तो शनि और दूसरा सन्तोष । भाई तुम कौन हो" - बुढ़िया बोली । 

"बहिन हम तो परदेसी है" - दोनों बोले ।
" परदेसी तो दो है एक जीव और दूसरा पे़ड़ का पात । भाई तुम कौन हो" - बुढ़िया बोली ।

" हम तो गरीब है " - माघ पंडित बोला
" गरीब तो दो है एक तो बकरी का जाया बकरा और दूसरी लड़की ।" - बुढ़िया बोली । 

" बहिन हम तो चतुर है" - माघ पंडित बोला ।
" चतुर तो दो है एक अन्न और दूसरा पानी । तुम कौन हो सच बताओ ।" - बुढ़िया बोली

इस पर दोनों बोले हम कुछ भी नहीं जानते । जानकार तो तुम हो ।
तब बुढ़िया बोली कि " तुम राजा भोज हो और ये पंडित माघ है । जाओ यही उज्जैन का रास्ता है ।"


शिक्षा - जब बड़ो के सामने आपकी एक ना चले तो समझ लो, हार मान लेना ही बेहतर है । 


🌸 श्रीरामः शरणं समस्तजगतां
रामं विना का गती।
रामेण प्रतिहन्यते कलिमलं
रामाय कार्यं नम:। 
रामात् त्रस्यति कालभीमभुजगो
रामस्य सर्वं वशे। 
रामे भक्तिरखण्डिता भवतु मे
राम त्वमेवाश्रयः।। 

(१, श्रीमद्वाल्मीकीयरामायणमहत्त्वम्)


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