बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

उच्चारण-स्थानानि (Uccharan Sthaan)

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च्चारण-स्थानानि (Uccharan Sthaan)       


उच्चारणस्थानानि



                           
          क्रम / संस्कृत-सूत्राणि / वर्ण / उच्चारण स्थान/ श्रेणी  


१) अ-कु-ह-विसर्जनीयानां कण्ठः। 
२) इ-चु-य-शानां तालु। 
३) ऋ-टु-र-षाणां मूर्धा। 
४) लृ-तु-ल-सानां दन्ता: । 
५) उ-पु-उपध्मानीयानाम् ओष्ठौ । 
६) ञ-म-ङ-ण-नानां नासिका च । 
७) एदैतौ: कण्ठ-तालु । 
८) ओदौतौ: कण्ठोष्ठम् । 
९) ‘व’ कारस्य दन्तोष्ठम् । 



१) अ-कु-ह-विसर्जनीयानां कण्ठः।
-अकार (अ, आ), कु= कवर्ग ( क, ख, ग, घ, ङ् ), हकार (ह्), और विसर्जनीय (:) का उच्चारण स्थान कंठ और जीभ का निचला भाग  "कंठ्य"  है।


२) इ-चु-य-शानां तालु। 
-इकार (इ, ई ) , चु= चवर्ग ( च, छ, ज, झ, ञ ), यकार (य) और शकार (श) इनका “ तालु और जीभ / तालव्य ” उच्चारण स्थान है।  


३) ऋ-टु-र-षाणां मूर्धा। 
-ऋकार (ऋ), टु = टवर्ग ( ट, ठ, ड, ढ, ण ), रेफ (र) और षकार (ष) इनका “ मूर्धा और जीभ / मूर्धन्य ” उच्चारण स्थान है। 


४) लृ-तु-ल-सानां दन्ता: ।
-लृकार (लृ), तु = तवर्ग ( त, थ, द, ध, न ), लकार (ल) और सकार (स) इनका उच्चारण स्थान “दाँत और जीभ / दंत्य ” है।


५) उ-पु-उपध्मानीयानाम् ओष्ठौ ।
- उकार (उ, ऊ), पु = पवर्ग ( प, फ, ब, भ, म ) और उपध्मानीय इनका उच्चारण स्थान "दोनों होंठ / ओष्ठ्य ” है। 


६) ञ-म-ङ-ण-नानां नासिका च ।
- ञकार (ञ), मकार (म), ङकार (ङ), णकार (ण), नकार (न), अं  इनका उच्चारण स्थान “नासिका” है ।  


७) एदैतौ: कण्ठ-तालु । 
- ए और ऐ का उच्चारण स्थान “कंठ तालु और जीभ / कंठतालव्य” है।


८) ओदौतौ: कण्ठोष्ठम् ।
- ओ और औ का उच्चारण स्थान “कंठ, जीभ और होंठ / कंठोष्ठ्य” है। 
  

९) ‘व’ कारस्य दन्तोष्ठम् ।
-वकार का उच्चारण स्थान “दाँत, जीभ और होंठ / दंतोष्ठ्य” है ।

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१०) जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम् ।
-जिह्वामूलीय का उच्चारण स्थान “ जिह्वामूल ” है ।

११) अनुस्वारस्य नासिका ।
-अनुस्वार (ं) का उच्चारण स्थान “ नासिका ” है ।

१२) क, ख इति क-खाभ्यां प्राग् अर्ध-विसर्गसद्दशो जिह्वा-मूलीय: ।
-क, ख से पूर्व अर्ध विसर्ग सद्दश “ जिह्वामूलीय ” कहलाते है ।

१३) प, फ इति प-फाभ्यां प्राग् अर्ध-विसर्ग-सद्दश उपध्मानीय: ।
-प, फ के आगे पूर्व अर्ध विसर्ग सद्दश “ उपध्मानीय ” कहलाते है ।

१४) अं , अ: इति अच् परौ अनुस्वार-विसर्गौ ।
-अनुस्वार और विसर्ग “ अच् ” से परे होते है; जैसे — अं , अ: ।

संस्कृतवर्णविचारः

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संस्कृत व्याकरण (Sanskrit Vyakaran)-


(1) वर्ण,
(2) प्रत्याहार
(3) प्रयत्न

संस्कृत व्याकरण को माहेश्वर शास्त्र भी कहा जाता है।

👉 माहेश्वर का अर्थ है-- *शिव जी*
👉 माहेश्वर सूत्र की संख्या --- *14*

                (1)  वर्ण
संस्कृत में वर्ण दो प्रकार के होते है---
3= *स्वर*
4= *व्यञ्जन*।

🌸👉 *संस्कृत में स्वर*--: ( *अच्*)तीन प्रकार के होते है-----:
1=■ *ह्रस्व स्वर* ( पाँच)---  इसमें एक मात्रा का समय लगता है। *अ , इ , उ , ऋ , लृ*

2=■ *दीर्घ स्वर* (आठ)---: इसमें दो मात्रा ईआ समय लगता है। आ , ई , ऊ , ऋ , ए ,ऐ ,ओ , औ

3= ■ *प्लुत स्वर* --: इसमे तीन मात्रा का समय लगता है।
जैसे--- *हे राम३*
*ओ३म* ।

🌸👉  सस्कृत में व्यञ्जन (हल् ) ----:

व्यञ्जन चार प्रकार के होते है----
1= 👉स्पर्श व्यञ्जन --: *क से म तक* = 25 वर्ण

2= 👉अन्तःस्थ व्यञ्जन ---: *य , र , ल , व*= 4 वर्ण

3= 👉 ऊष्म व्यञ्जन --: *श , ष , स , ह* = 4 वर्ण

4= 👉 संयुक्त व्यञ्जन --: *क्ष , त्र , ज्ञ* = 3 वर्ण

○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○

            (2)   प्रत्याहार

🌸 *प्रत्याहारों की संख्या* = 42
● *अक् प्रत्याहार*---: अ इ उ ऋ लृ  ।
● *अच् प्रत्याहार* ---:अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ।
● *अट् प्रत्याहार* ---: अ इ उ ऋ  लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र्  ।
● *अण् प्रत्याहार* ---: अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र् ल्  ।
● *इक् प्रत्याहार*----:  इ उ ऋ लृ  ।
● *इच् प्रत्याहार*----: इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ।
● *इण् प्रत्याहार*-----:  इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह् य् व् र् ल्   ।
● *उक् प्रत्याहार* ----: उ ऋ लृ  ।
● *एड़् प्रत्याहार* ----: ए ओ  ।
● *एच् प्रत्याहार*----- : ए ओ ऐ औ  ।
● *ऐच् प्रत्याहार* ----- ऐ औ  ।
● *जश् प्रत्याहार* --- : ज् ब् ग् ड् द्   ।
● *यण् प्रत्याहार* ---': य् व् र् ल्   ।
● *शर् प्रत्याहार*-----: श् ष् स्    ।
● *शल् प्रत्याहार* ---- : श्  ष्  स्  ह्  ।
☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆

                       (3) *प्रयत्न*---

👉  " *वर्णों के उच्चारण करने की चेष्टा को ' प्रयत्न ' कहते है।*
👉 प्रयत्न *दो प्रकार* के होते है---:
1= आभ्यान्तर प्रयत्न
2= बाह्य प्रयत्न
■ *आभ्यान्तर प्रयत्न*----:
आभ्यान्तर प्रयत्न *पाँच प्रकार* के होते है----:
☆ *1*= स्पृष्ट ( *स्पर्श*)-----: *क से म तक के वर्ण  ।*
☆ *2*= ईषत् -- स्पृष्ट -----: *य ,र  , ल , व  ।*
☆ *3*= ईषत् -- विवृत ------:  *श  , ष  , स , ह  ।*

☆ *4*=  विवृत ----:
अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ  ।

☆ *संवृत----:
" *इसमें वायु का मार्ग बन्द रहता है । प्रयोग करने में ह्रस्व  " अ " का प्रयत्न संवृत होता है किन्तु शास्त्रीय प्रक्रिया में " अ "  का प्रयत्न विवृत होता है।*
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
🌸 *बाह्य प्रयत्न* ------:
👉 उच्चारण की उस चेष्टा को " बाह्य प्रयत्न " कहते है ; जो मुख से वर्ण निकलते समय होती है।
👉 *बाह्य प्रयत्न  -- 11 प्रकार के होते है।*

(1=विवार  2= संवार  3= श्वास 4= नाद 5= घोष 6=:अघोष 7= अल्पप्राण 8= महाप्राण 9= उदात्त 10= अनुदात्त 11= त्वरित  )
         ----------------------

स्वपरिचयः (Self Introduction)

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स्वपरिचयः (Self Introduction)

1) 

1) मम नाम ...दीनदयालः.... ।

मेरा नाम ....दीनदयाल.... है।    
(My name is Deendayal)


2) अहम् ............ कक्षायां पठामि। (षष्ठी/ सप्तमी/ अष्टमी)

मैं ............ कक्षा में पढ़ता हूँ।   
      (I am Studying in class ……..)


3) मम विद्यालयस्य नाम विद्यालय ......अस्ति। 

मेरे विद्यालय का नाम केन्द्रीय विद्यालय .............. है।
(I Study in Kendriya Vidyalaya ……………….)


4) अहं मूलतः ....उत्तरप्रदेशतः....अस्मि।

 मैं मूल रूप से ....... उत्तरप्रदेश...... से हूँ। 
     (I am basically from 
Uttar pradesh)


5) वर्तमाने अहम् …काशी... इति स्थाने निवसामि ।

वर्तमान समय में मैं ......... स्थान पर रह रहा हूँ।    
   (I live in ………………)


6) मम पितुः नाम.........अस्ति,  सः ...अध्यापकः... अस्ति।*

मेरे पिता जी का नाम ....... हैं, वह एक ...अध्यापक... हैं।   

(My Father’s name is .………. he is a Teacher)


7) मम मातुः नाम ............ अस्ति, सा ...गृहिणी... अस्ति। *
मेरी माता जी का नाम ............. है, वह एक ...गृहिणी...है। 

(My Mother’s name is ………… she is a HouseWife)


8) मम रुचिः .....अध्ययने, क्रीड़ने..... च अस्ति/ स्तः/ सन्ति।# 

मेरी रुचि ....पढ़ने, खेलने.... में है।   
(My hobbies are Studying & Playing)


9) अहम् ...प्राध्यापकः.... भवितुम् इच्छामि।* 

मैं .....प्राध्यापक..... बनना चाहता हूं।   
(I want to be a Professor)
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             * व्यवसाय: (Profession)-
1)  प्राध्यापकः = Professor,
2) व्याख्याता= Lecturer
3)  अध्यापकः/ अध्यापिका =Teacher,
4) अधिकारी = Officer;
5) अभियन्ता/ तंत्रज्ञः = Engineer;
6)  वैद्यः/ वैद्या= Doctor,
7)  न्यायवादी = lawyer,
8)  प्रबन्धकः= Manager,
9) वायुयान-चालकः=pilot,
10)  सैनिकः=police,
11) उट्टङ्ककः = Typist,
12)  लिपिकः = Clerk,
13) विक्रयिकः = Salesman;
14) व्यवसायिकः=Businessman,
15)  वैज्ञानिक:- scientist

16) क्रीडक: - Sports Player  

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                      # रुचि: (Hobbies)-

1) अध्ययने-Studying,
2)  पठने-Reading,
3) पाठने- Teaching,
4) गायने-Singing,
5) नृत्ये-Dancing,
6) क्रीडने-Playing,
7) तरणे-Swimming, 
8) चित्रनिर्माणे-Painting,
9) भ्रमणे-visiting,
10) शयने=Sleeping,
11) भोजने=Eating

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प्रहेलिका संस्कृतम्।

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प्रश्न:

केशवं पतितं दृष्ट्वा, पाण्डवाः हर्षनिर्भराः। 
रुदन्ति कौरवाः, सर्वे हा हा केशव केशव ।।

अर्थः

गिरे हुए केशव को देखकर पांडव हर्ष से भर गए, सभी कौरव हे केशव, हे केशव चिल्ला रहे थे।

उत्तर:
हम्म्म...., दिलचस्प परिदृश्य, है ना? पांडव आनन्द मना रहे हैं जबकि कोरव केशव के लिए विलाप कर रहे है ? !! लगभग ऐसा लगता है कि कवि ने शब्दों को रखने में गलती कर दी है!

(केशव भगवान कृष्ण के कई नामों में से एक है। उन्हें केशी नामक राक्षस को मारने के बाद ऐसा कहा जाता था।)

खेर, आइए यहां श्लोक में कुछ विशेष शब्द देखें- केशव को के शव के रूप में विभाजित किया जाए तो शव का अर्थ है के (कण का सातवा मामला) शब्द) पानी में शव केडेवर (शव) पानी में शव । पा अण्डवाः पा-पानी ।अण्डवा:- अण्डों से पैदा होने वाली, मछलियाँ अण्डों से पानी में पैदा होती है

कौर रवा

की भयानक रावः शोर मचाने वाले
भेड़िये / लोमड़ी भयानक रोने के साथ चिल्लाते हैं

अब इसका अर्थ यह हुआ कि

पानी में गिरे हुए शव को देखकर मछलियाँ खुशी से झूम उठीं। वह उनके लिए एक दावत थी) जबकि भेड़िये विलाप कर रहे थे क्योंकि उन्हें पानी में मृत शरीर का एक टुकड़ा नहीं मिल सका

ओह, अब यह अधिक समझ में आता है, है ना :)।

अगले पाठ तक, अभ्यास करके खुश!

मंगलवार, 10 अक्टूबर 2023

संस्कृतप्रतिभासन्धानमण्डलस्तरीयप्रतियोगितायां छात्रा: पुरस्कृता: ।

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 संस्कृतप्रतिभासन्धानमण्डलस्तरीयप्रतियोगितायां महेशः प्रथमस्थानं प्राप्तवान्, नेहा, प्रज्ञा, ज्योतिः अपि बुद्धिं दर्शितवन्त:। 


उत्तरप्रदेश:।बांदा।संस्कृतप्रतिभासन्धानमण्डलस्तरीयप्रतियोगिता हमीरपुरे आयोजिता तत्र पंडित-जवाहरलाल-नेहरूइण्टरकॉलेज इत्यस्य छात्रा: सम्मानं प्राप्तवन्त:। हमीरपुरे उत्तरप्रदेशसंस्कृतसंस्थानेन आयोजितायां संभागस्तरीयसंस्कृतप्रतिभासन्धानपरीक्षायां जे.एन.इण्टरकालेज विद्यालयस्य छात्रः महेशः प्रथमस्थानं प्राप्तवान्। नेहा, प्रज्ञा, ज्योतिः च उत्तमं पदं प्राप्तवन्तः । गिरवानस्य एताः आशाजनकाः बालिकाछात्राः हमीरपुरे सम्मानिताः। हमीरपुरमण्डलस्य भुवनेश्वरीसंस्कृतमहाविद्यालये सोमवासरे प्रतियोगितायाः आयोजनं कृतम्। तस्मिन् बाण्डा-चित्रकूट-महोबा-हमीरपुर-नगरेभ्यः छात्राः भागं गृहीतवन्तः।


प्राचार्य: श्रीमहेशद्विवेदी यस्य मार्गदर्शनेन विभागीयस्तरस्य संस्कृत-अन्वेषणपरीक्षा कृता। यस्मिन् छात्राः उत्कृष्टतां प्राप्तवन्तः। गिरवांनगरस्य तेजस्वी छात्राः प्रत्येकस्मिन् विषये तेजस्वी प्रदर्शनं कृतवन्तः। अष्टमकक्षायाः छात्रः महेशः विभागीयस्तरस्य संस्कृतपाठे प्रथमस्थानं प्राप्तवान् । संस्कृतगीतप्रतियोगितायां दशमश्रेणीयाः छात्रा प्रज्ञा विभागीयस्तरस्य तृतीयस्थानं प्राप्तवती तथा च संस्कृतसामान्यज्ञानप्रतियोगितायां १२ कक्षायाः छात्रा ज्योतिः, दशमश्रेणीयाः छात्रा नेहा च संयुक्तरूपेण द्वितीयस्थानं प्राप्य विद्यालये पुरस्कारं आनयत्। 


कार्यक्रमे विद्यालयस्य प्राचार्य श्रीसर्वेशद्विवेदिवर्य: तथा जिलाविद्यालयनिरीक्षकेण छात्रा: पुरस्कृतारभवन्। अमुष्मिन् समये दण्डाधिकारी श्रीनागेन्द्रनाथपाण्डेय:, उपजिलाधिकारी पवनकुमार:, सुनीलपाठक:, आशीषपालिवाल:, जिलाविद्यालयनिरीक्षक: कमलेशकुमारओझा: समुपस्थिता:। 
एतेषां पुण्यशीलानाम् छात्राणां सज्जीकरणे जे.एन.इण्टर महाविद्यालयस्य संस्कृतविभागस्य प्रवक्ता श्रीशिवपूजनत्रिपाठिमहाशयस्य इत्यस्य विशेषं योगदानम् आसीत् । पुरस्कारविजेता महाविद्यालये प्रत्यागतानां छात्राणां प्राचार्यः श्री गणेशद्विवेदी इत्यादयः शिक्षकाः बुधवासरे एकेन समारोहेण एतेषां पुण्यशालिनां छात्राणां सम्मानं करिष्यन्ति।