बुधवार, 27 अक्टूबर 2021

समुच्चय, अन्वाचय, इतरेतरयोग और समाहार।

च के 4 अर्थ होते हैं। समुच्चय, अन्वाचय, इतरेतरयोग और समाहार। समुच्चय का अर्थ है जब दो (या अधिक) परस्पर निरपेक्ष वस्तुओं का समूह किसी तीसरे वस्तु में हो। जैसे ईश्वरं गुरुं च भजस्व = ईश्वर और गुरु को भजो। यहाँ ईश्वर का और गुरु का इन दो वस्तुओं का भजन (तीसरी वस्तु) में एकत्रीकरण होता है। ईश्वर का भजन गुरु के भजन के सापेक्ष नहीं है। इसलिए ईश्वर का भजन करो, और गुरु का भजन करो, यह दो स्वतन्त्र वाक्य बन जाते हैं। भजन क्रिया में दो द्रव्य ईश्वर और गुरु का समुच्चय हुआ है, उसको "च" ने बताया।। और एक उदाहरण है। ● रक्तो घटः पटश्च। ● इसमें रक्त एक रङ्ग है, यह गुण है। इस एक गुण में 2 वस्तुओं का समुच्चय है, घट (pot) और पट (cloth) का। घड़ा भी लाल है और कपड़ा भी, दोनों एक दूसरे से सापेक्ष होके लाल नहीं। रामः सुन्दरः धार्मिकः च। यहाँ पर सुन्दरता और धार्मिकता ये दो गुणों का समुच्चय राम इस तीसरे वस्तु में है। सुन्दरता धर्म से सापेक्ष नहीं। अन्वाचय का अर्थ है जहाँ एक प्रधान वस्तु के सापेक्ष अप्रधान वस्तु हो। जैसे ● भिक्षाम् अट गां चानय ● भिक्षाटन करो और गाय लेते हुए आना। इसमें भिक्षा के लिए घूमना प्रधान वस्तु है, उस बीच में मानलो गाय दिख जाए तो ले आना, ये अप्रधान है और भिक्षाटन के सापेक्ष है। अगर भिक्षाटन न होगा तो गाय को लाना भी संभव नहीं इसलिए। इतरेतर-योग: जब दो (या अधिक) परस्पर सापेक्ष वस्तुओं का एक साथ *एक साथ* सम्बन्ध बताना हो तब इतरेतरयोग होता है।। यह भी समुच्चय का ही एक प्रभेद है लेकिन समुच्चय में परस्पर सम्बन्ध अपेक्षित नहीं। ●धवखदिरौ छिन्धि● = धव और खदिर के पेड़ काटो। इसका विग्रह धवश्च खदिरश्च छिन्धि ऐसे दो च लगाके होगा। क्योंकि दोनों को एक साथ काटना है। ये दोनों का छेदन क्रिया (तीसरी वस्तु में) एक साथ जुड़ना (योग) अपेक्षित है। दो या अधिक वस्तुओं का समुच्चय तीसरे में हो रहा है अतः यह भी समुच्चय है, लेकिन सापेक्ष वस्तुओं का योग होने से अन्योन्ययोग समास हो जाएगा। समुच्चय में ईश्वर का भजन अलगसे और गुरु का अलगसे भी हो सकता है। लेकिन अगर इसे ही समास करके कह दिया जाय तो एक साथ करना अपेक्षित होगा = "गुर्वीश्वरौ भजस्व" इसका अर्थ गुरु और ईश्वर को साथमें भजो। यहाँ दोनों पदार्थ ईश्वर और गुरु परस्पर सम्बद्ध हैं। इसे खोलके बोलोगे तो दो च लगाने पड़ेंगे। ईश्वरं च गुरुं च भजस्व। समाहार भी समुच्चय का ही प्रभेद है। लेकिन यहाँ पर एक समाहार (1 unit) अपेक्षित है। ●जैसे इतिहासपुराणं पञ्चमं वेदानां वेदः (छान्दोग्य उपनिषद्)।● इतिहासपुराण पाँचवा वेदों का भी वेद है। यहाँ इतिहास और पुराण ये अलग अलग नहीं है एक ही समाहार (unit) हैं, यह बताना चाहता है वेद। "भेरीमृदङ्गं वादय" भेरिमृदङ्ग बजाओ। इधर भी भेरी वाद्य और मृदङ्ग वाद्य को अलग अलग न रखके एक समाहार करके बताया गया है। इसे बोलचाल में हम भी कहते हैं ढोलनगाड़ा बजा। तो ढोलनगाड़ा में एकवचन है। ऐसे और उदाहरण है जैसे "पानसुपारि खाओ लेकिन बीड़ीसिगरेट न पियो"। "हाथीघोड़ापालकी" एक unit है। ऐसे आपस में मिलती जुलती चीज़ों का समाहार समास करके कहते हैं हम। समाहार में हमेशा एकवचन ही होगा। और सदैव नपुंसकलिङ्ग होगा। ये च के चार अर्थ थे।। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ Join👉 @sanskritm

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