रविवार, 14 नवंबर 2021

सुभाषितम्

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। 
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।। 

 अर्थ – व्यक्ति के मेहनत करने से ही उसके काम पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से उसके काम पूरे नहीं होते। जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरण स्वयं नहीं आता, उसके लिए शेर को परिश्रम करना पड़ता है।

https://youtu.be/DiOA70Raq4w
 

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