रविवार, 27 नवंबर 2022

छोटी मोटी बीमारियों के इलाज

 आज मानव समाज छोटी मोटी बीमारियों के इलाज में बहुत धन  खर्च करता है । कमाई का बड़ा भाग बीमारियों में खर्च करना पड़ता है।  

इलाज महंगा और एलोपथिक चिकित्सा में रोग निवारण में साइड इफ़ेक्ट बहुधा देखा गया है।

यदि थोड़ी से हर्बल वनस्पतियों का ज्ञान हो जाये तो तीन चौथाई मरीज घर मे ही ठीक हो जाएंगी और केवल गंभीर बीमारियों के लिए ही अस्पतालों की ओर जाना पड़ेगा। 

केजरीवाल के मोहल्ला क्लीनिक की भी जरूरत नही होगी । योग्य चिकित्सको की कमी के कारण मुहल्ला क्लीनिक की अवधारणा केवल दिखावा ही है। 

आज के रोगों जिसमे वायरस जनित रोग है का एलोपैथी में कोई इलाज ही नही है। 

हर पैथी का अपना उपयोग निश्चित है किंतु आयुर्वेद तो सदा बहार है और गरीबो के लिए सर्वथा उपयोगी ।

कुछ बीमारी और उनका हर्बल उपचार ।

1. मलेरिया , चिकनगुनिया , डेंगू 

चिकनगुनिया और डेंगू , वायरस जनित रोग है जिसके लिए एल्लोपथी में कोई दवा है ही नही ।

लेकिन एन्टी वायरस वाली हर्ब्स बहुत उपयोगी है।

मलेरिया का बुखार चाहे फेलसिपेराम ही क्यों न हो अकेले कालमेघ अर्थात कडू चिरायता का काढ़ा सुबह शाम पीने से शीघ्र बुखार ठीक हो जाता है। बुखार केवल दो दिन में उतर जाएगा किन्तु कम से कम 15 दिन इसे पिये। 

25 से 30 ग्राम कडू चिरायता को एक लीटर पानी मे उबाले जब एक चौथाई होने पर छान कर रख ले । फिर 20 ml अर्थात आधा कप काढ़ा सुबह शाम पिये।

चिकनगुनिया के लिए भी यही काढ़ा उपयुक्त उपचार है। 

डेंगू के लिए - 

कालमेघ , गिलोय का चूर्ण 50 ग्राम और पारिजात की 20 पत्तियां कूचकर 1 लीटर पानी मे डालकर उबालना है और एक चौथाई होने पर छान लें । फिर आधा कप , सुबह शाम पीना है । सात दिन में ठीक हो जाता है फिर भी 15 दिन पिये ।

कितना सरल उपाय है खर्च 25 रुपये से भी कम यदि घर मे ये तीनो पौधे लगा ले तो कोई खर्च नही । 

गरीब जनता के लिए बहुत आवश्यक है। 

2. करोना 

जिसने सम्पूर्ण  विश्व को झकझोर दिया । 

हमने देखा है और प्रयोग किया है ।

इसके लिए कालमेघ और गिलोय का काढ़ा आधा आधा कप सुबह शाम पिये ।

त्रिकुट एक चुटकी  तथा शहद  के साथ सुबह शाम चाटे एक हफ्ते। 

बरगद का दूध एक चम्मच , दो  चम्मच सादे दूध के साथ सुबह शाम ले सात दिन तो कैसा भी फेफड़ों में संक्रमण हो ठीक हो जाता है। 

बरगद के विशाल पेंड हर मुहल्ले में है। 

बरगद का दूध सुबह शाम ऊपर अनुसार लेने से दो दिन में फेफड़ो का संक्रमण ठीक हो जाता है और बाहर से ऑक्सीजन की जरूरत ही नही पड़ेगी । 

कितना सरल , सुलभ उपाय है। यह वायरस के विरुद्ध बहुत प्रभावी है। 

3. पीलिया या जोंडिस 

इसके लिए कालमेघ का काढ़ा सुबह शाम पिये ।

भुई आंवला के पौधे की चटनी पीसकर एक एक चम्मच सुबह शाम सात दिन ले ।

भुई आंवला  वर्षात के समय हर जगह उग जाता है। इसको उबलते पानी मे डुबोकर निकाल ले ताकि कोई कीटाणु न रह जाए। 

सावधानी से यदि एक दो बूंद अकौआ का दूध 10 ग्राम गुड़ में  डालकर सुबह शाम ले सात दिन तो घर मे ही पीलिया ठीक हो जाता है ।

लिवर को चुस्त रखने के लिए यदि मकोइया की भाजी खाएं या उसका काढ़ा पिये । 

4. शर्दी ,  खांशी  और बुखार के लिए । कालमेघ का काढ़ा पिये । और तुलसी के 7 पत्ते 7 कालीमिर्च पीसकर उसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में दो बार चाटे कम से कम सात दिन । 

या  त्रिकुट चूर्ण (  सोंठ , कालीमिर्च , लेंडी पीपल बराबर  मात्रा में पीस ले ) एक चुटकी लेकर उसमें शहद मिलाकर चाटे सु बह शाम सात दिन ।

अब आप याद करे कि साल भर में आप किन बीमारियों के लिए डॉक्टर के पास जाते है। 

5. उच्च रक्तचाप और हृदय रोग निवारण के लिए सबसे सरल सुलभ और कारगर उपचार 

अर्जुन वृक्ष की छाल 50 ग्राम लेकर एक लीटर पानी मे उबाले  एक चौथाई बचने के बाद उसको छान कर रख ले । फिर आधा कप सुबह  या शाम एक बार ले  रोग के अनुसार तीन माह तो लेना है फिर हर माह 10 दिन ले। रोग के अनुसार चेकिंग कराकर दवा लेते रहे यदि जरूरत हो ।

इस सबके लिए वैद्यो से परामर्श लेते रहे ।



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